Saawan Somwar Vrat Puja Vidhi | Importance and Benefits of of Saawan Somwar Vrat | Somwar Vrat Katha in Hindi | सावन सोमवार व्रत पूजा विधि | सावन सोमवार व्रत का महत्व | सावन सोमवार व्रत कथा हिंदी में
Saawan
Somwar vrat is
dedicated to Lord Shiva and Mata Parvati. People observe Vrat on Somwar in
Saawan. It has a great importance. Some people also do vrat like 16 somwar and Pradosh
vrat which is auspicious to start from the month of Saawan. The whole month of
offering prayers and mantra jaap is considered highly auspicious.
First Somwar Vrat - 10 July 2023
Second Somwar Vrat - 17 July 2023
Third Somwar Vrat (Adhik Maas) - 24 July 2023
Fourth Somwar Vrat (Adhik Maas) - 31 July 2023
Fifth Somwar Vrat (Adhik Maas) - 7 August 2023
Sixth Somwar Vrat (Adhik Maas) - 14 August 2023
Seventh Somwar Vrat - 21 August 2023
Eighth Somwar Vrat - 28 August 2023
*Somwar Vrat which falls on Adhik Maas or Malmaas is not good which is on 24 July, 31 July, 7 August, 14 August 2023.
*Somwar Vrat on 10th July, 17th July, 21st August, 28th August are acceptable Somwar Vrat Dates.
Benefits
of Saawan Somwar Vrat:
· People who are facing problems in their married life or people who are facing delays in marriage can observe the Saawan Somwar Vrat.
· Somwar vrat makes Lord Shiva happy and he blesses the devotee with lots of happiness and prosperity.
· This vrat is also done by unmarried girls to get a good husband.
· It brings harmomy and peace in the family.
· Saawan Somwar Vrat brings positivity and removes negativity. It purifies our soul and mind due to which we are able to connect with the divine energies and take the path of spirituality.
· Due to blessings of divine we get success and good fortune.
· Chanting mantras of Lord Shiva and planet moon brings positive result in our horoscope related with planet moon.
· We can get rid of negative effect of Rahu, Ketu and Saturn also by chanting Lord Shiva mantra.
· Chanting Maha Mrityunjay Mantra in Saawan month specially on Mondays of Saawan month cures our diseases.
· Saawan Somwar Vrat fulfils our wishes.
What Not
To Do in Saawan:
· Non veg food must be avoided.
· Some people also avoid onion and garlic in the month of Saawan as this month is very auspicious and onion and garlic are tamsic food.
· Liquer is avoided in the whole month.
· Tulsi leaves, haldi and sindur is not allowed in Shiv puja.
Saawan
Somwar Vrat Puja Vidhi:
· Wake up early in the morning and take bath. In bath water pour Ganga Jal or take bath in holy river like Ganga, Narmada, Yamuna etc in Saawan month. It has a special significance.
· Then clean the puja place with Ganga Jal and sprinkle Ganga Jal in home also for purification.
· Decorate the puja place with flowers and collect all the puja items like white Chandan, white flowers, belpatra, cow ghee for lighting diya, itra, sugandhit dhoop, mishri, lawing, white janeu, coconut with water, honey, seasonal fruits etc.
· Then place the photo of Lord Shiva and Mata Parvati or Shiv Pariwar on the piece of wood with red cloth on it.
· Take Sankalp of doing Sawan Somwar vrat.
· Offer all the puja items to Lord Shiva.
· Then light up Ghee ka diya and sugandhit dhoop and offer to Lord Shiva.
· Apply white Chandan on your forehead and try to wear white cloth on Saawan Somwar Vrat day.
· Read the Somwar Vrat Katha.
· Read Rudrashtakam and Shiva Chalisa.
· Chant mantra of Lord Shiva “Om Namah Shivay” 108 times. You can chant more malas of this mantra also.
· Chant Maha Mrityunjay Mantra “Om Trayambakam Yajamahe Sugandhim Pushti Vardhanam, Urjarukmiv Bandhanaan Mrityo Moorchhiya Maamritaat”.
· Then offer kapur and lawang to Lord Shiva with mantra “Karpur Gauram Karunawataram Sansaar Saaram Bhujgendrahaaram, Sadaa Vasantam Hridya Ravinde Bhavam Bhavani Sahitam Namaami”.
· Do Arati of Lord Shiva.
· People also go to Shiv temple today and offer their prayers and do abhishek of shivling with water, raw milk, honey, Ganga Jal, black til. Then they offer white Chandan, flowers, belpatra, seasonal fruits to Lord Shiva. While doing abhishek chant mantra “Om Namah Shivay”. Then light up a ghee diya in the temple in front of Lord Shiva and offer dhoop.
· Then you can have the fruits and milk.
· In evening do puja and arati of Lord Shiva.
· This day you can donate rice, milk, curd, sugar, white sweets to needy people and in temple also.
· You can have fruits, milk, meals prepared from sabudana(sago) and peanuts with sendha namak. Dry fruits, sweet potato, singhara aata halwa can be consumed. However there are people who have one time of meal in Saawan Somwar Vrat.
· Salt, onion and garlic must be avoided.
· Lots of water,nimbu-paani and coconut water can be consumed to keep hydrated throughout the day.
Saawan
Somwar Vrat Katha
Reading or
listening Saawan Vrat Katha is very auspicious and brings positive result to
devotees.
एक साहूकार था जो भगवान शिव
का अनन्य भक्त था। उसके पास धन-धान्य किसी भी चीज की कमी नहीं थी। लेकिन उसकी
कोई संतान नहीं थी और वह इसी कामना को लेकर रोज शिवजी के मंदिर जाकर दीपक जलाता
था। उसके इस भक्तिभाव को देखकर एक दिन माता पार्वती ने शिवजी से कहा कि प्रभु यह
साहूकार आपका अनन्य भक्त है। इसको किसी बात का कष्ट है तो आपको उसे अवश्य दूर
करना चाहिए। शिवजी बोले कि हे पार्वती इस साहूकार के पास पुत्र नहीं है। यह इसी से
दु:खी रहता है।
माता पार्वती कहती हैं कि
हे ईश्वर कृपा करके इसे पुत्र का वरदान दे दीजिए। तब भोलेनाथ ने कहा कि हे पार्वती
साहूकार के भाग्य में पुत्र का योग नहीं है। ऐसे में अगर इसे पुत्र प्राप्ति का
वरदान मिल भी गया तो वह केवल 12 वर्ष की आयु तक ही जीवित
रहेगा। यह सुनने के बाद भी माता पार्वती ने कहा कि हे प्रभु आपको इस साहूकार को
पुत्र का वर देना ही होगा अन्यथा भक्त क्यों आपकी सेवा-पूजा करेंगे? माता के बार-बार कहने से भोलेनाथ ने साहूकार को पुत्र का वरदान दिया। लेकिन यह
भी कहा कि वह केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा।
साहूकार यह सारी बातें सुन
रहा था इसलिए उसे न तो खुशी हुई और न ही दु:ख। वह पहले की ही तरह भोलेनाथ की
पूजा-अर्चना करता रहा। उधर सेठानी गर्भवती हुई और नवें महीने उसे सुंदर से बालक की
प्राप्ति हुई। परिवार में खूब हर्षोल्लास मनाया गया लेकिन साहूकार पहले ही की तरह
रहा और उसने बालक की 12 वर्ष की आयु का जिक्र किसी से भी नहीं किया।
जब बालक 11 वर्ष की आयु हो गई तो एक दिन साहूकार की सेठानी ने बालक के विवाह के लिए कहा।
तो साहूकार ने कहा कि वह अभी बालक को पढ़ने के लिए काशीजी भेजेगा। इसके बाद उसने
बालक के मामा जी को बुलाया और कहा कि इसे काशी पढ़ने के लिए ले जाओ और रास्ते में
जिस भी स्थान पर रुकना वहां यज्ञ करते और ब्राह्मणों को भोजन कराते हुए आगे
बढ़ना। उन्होंने भी इसी तरह करते हुए जा रहे थे कि रास्ते में एक राजकुमारी का
विवाह था। जिससे उसका विवाह होना था वह एक आंख से काना था। तो उसके पिता ने जब अति
सुंदर साहूकार के बेटे को देखा तो उनके मन में आया कि क्यों न इसे ही घोड़ी पर
बिठाकर शादी के सारे कार्य संपन्न करा लिये जाएं। तो उन्होंने मामा से बात की और
कहा कि इसके बदले में वह अथाह धन देंगे तो वह भी राजी हो गए।
इसके बाद साहूकार का बेटा
विवाह की बेदी पर बैठा और जब विवाह कार्य संपन्न हो गए तो जाने से पहले उसने
राजकुमारी की चुंदरी के पल्ले पर लिखा कि तेरा विवाह तो मेरे साथ हुआ लेकिन जिस
राजकुमार के साथ भेजेंगे वह तो एक आंख का काना है। इसके बाद वह अपने मामा के साथ
काशी के लिए चला गया। उधर जब राजकुमार ने अपनी चुनरी पर यह लिखा हुआ पाया तो उसने
राजकुमार के साथ जाने से मना कर दिया। तो राजा ने भी अपनी पुत्री को बारात के साथ
विदा नहीं किया। बारात वापस लौट गई। उधर मामा और भांजे काशीजी पहुंच गये थे।
एक दिन जब मामा ने यज्ञ रचा
रखा था और भांजा बहुत देर तक बाहर नहीं आया तो मामा ने अंदर जाकर देखा तो भांजे के
प्राण निकल चुके थे। वह बहुत परेशान हुए लेकिन सोचा कि अभी रोना-पीटना मचाया तो
ब्राह्मण चले जाएंगे और यज्ञ का कार्य अधूरा रह जाएगा। जब यज्ञ संपन्न हुआ तो
मामा ने रोना-पीटना शुरू किया। उसी समय शिव-पार्वती उधर से जा रहे थे तो माता
पार्वती ने शिवजी से पूछा हे प्रभु ये कौन रो रहा है? तभी उन्हें पता चलता है कि यह तो भोलेनाथ के आर्शीवाद से जन्मा साहूकार का
पुत्र है।
तब माता पार्वती कहती हैं
कि हे स्वामी इसे जीवित कर दें अन्यथा रोते-रोते इसके माता-पिता के प्राण निकल
जाएंगे। तब भोलेनाथ ने कहा कि हे पार्वती इसकी आयु इतनी ही थी सो वह भोग चुका।
लेकिन मां के बार-बार आग्रह करने पर भोलेनाथ ने उसे जीवित कर दिया। लड़का ओम नम:
शिवाय करते हुए जी उठा और मामा-भांजे दोनों ने ईश्वर को धन्यवाद दिया और अपनी
नगरी की ओर लौटे। रास्ते में वही नगर पड़ा और राजकुमारी ने उन्हें पहचान लिया तब
राजा ने राजकुमारी को साहूकार के बेटे के साथ बहुत सारे धन-धान्य के साथ विदा
किया।
उधर साहूकार और उसकी पत्नी छत पर बैठे थे। उन्होंने यह प्रण कर रखा था कि यदि उनका पुत्र सकुशल न लौटा तो वह छत से कूदकर अपने प्राण त्याग देंगे। तभी लड़के के मामा ने आकर साहूकार के बेटे और बहू के आने का समाचार सुनाया लेकिन वे नहीं मानें तो मामा ने शपथ पूर्वक कहा तब तो दोनों को विश्वास हो गया और दोनों ने अपने बेटे-बहू का स्वागत किया। उसी रात साहूकार को स्वप्न ने शिवजी ने दर्शन दिया और कहा कि तुम्हारे पूजन से मैं प्रसन्न हुआ। इसी प्रकार जो भी व्यक्ति इस कथा को पढ़ेगा या सुनेगा उसके समस्त दु:ख दूर हो जाएंगे और मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति होगी।
Lord Shiva Mantras, it's meaning and it's Benefits
Saawan me kiye jaane wale upaay
For Upcoming Hindu Festivals Details Click Here
No comments:
Post a Comment