Wednesday, July 05, 2023

Ganesh Mantras | Ganpati Smaran Mantra | Ganesh Lakshmi Stotra | Shree Sankatnashan Ganesh Stotram | Ganesh Panchratna Stotra | Shree Ganesh Chalisa | Shree Ganesh Stuti Mantra | Benefits of Ganesh Mantra

Ganesh Mantras | Ganpati Smaran Mantra | Ganesh Lakshmi Stotra | Shree Sankatnashan Ganesh Stotram | Ganesh Panchratna Stotra | Shree Ganesh Chalisa | Shree Ganesh Stuti Mantra | Benefits of Ganesh Mantra

Ganapati Mantras For Various Purposes:

  • To remove obstacles coming in the work chant this mantra:

॥ ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा ॥

  • To fulfil wishes, removing long time illness, calms the mind and gives healthy body, provides peace, removes fear, gives material benefit, encourages modesty, righteousness and wisdom, chant this mantra:

          ॥ ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

  • When offering Durva grass to Ganapati, chant this mantra:

|| इदं दुर्वादलं ऊं गं गणपतये नमः ||

  • Basic Ganapati Mantra to remove negativity before beginning any work. Chanting this mantra ensures success in the venture which someone is going to undertake.

                                        ॐ गं गणपतये नमः 

  • To remove obstacles in work, relationships etc chant this mantra as Ganapati is also known for removing obstacles.

ॐ विघ्ननाशाय नमः

  • Siddhivinayak Mantra: This mantra is chanted for success, achievement, prosperity, peace, material fulfilment, social influence and spiritual enlightenment. It opens up many doors of opportunity.

ॐ नमो सिद्धि विनायकाय सर्व कार्य कर्त्रे सर्व विघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्यकरणाय सर्वजन सर्वस्त्री पुरुष आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा ॥

  • Before starting any new work chant this smaran mantra of Ganapati, the new venture will get success:
    वक्रतुण्ड महाकाय
    सूर्यकोटि समप्रभ ।
    निर्विघ्नं कुरु मे देव
    सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

अर्थ: घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली। मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करने की कृपा करें |

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Ganpati Stotras:

Ganesh Laxmi Stotra | गणेश लक्ष्मी स्तोत्र:

This stotra gives unlimited wealth and abundance. Chant 108 times of this stotra on the night of Diwali. Or, from Bhadrapad Shukla Chaturthi to Chaturdashi chant 108 times daily of this stotra. This will give unimagned result for wealth and abundance.

ॐ नमो विघ्नराजाय सर्वसौख्यप्रदायिने |

दुष्तारिष्टाविनाशाय पराय परमात्मने ||

लम्बोदरं महावीर्यं नागयज्ञोप शोभितं |

अर्धचन्द्रधरं देवं विघ्नव्यूह विनाशनं ||

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्बाय नमो नमः |

सर्वसिद्धिप्रदोसि त्वं सिद्धिबुद्धिप्रदोभव ||

चिन्तितार्थप्रदस्त्वं हि सततं मोदकप्रियः |

सिन्दूरारुणवस्त्रेश्च पूजितो वरदायकः ||

इदं गणपतिस्तोत्रं यः पठेद भक्तिमान नरः |

तस्य देहं च गेहं च स्वयं लक्ष्मीर्न मुञ्चति ||

Ganesh Laxmi Stotra Meaning लक्ष्मी गणेश स्तोत्र अर्थ

सम्पूर्ण सौख्य प्रदान करने वाले सत्चिदानद स्वरुप विघ्नराज गणेश को नमस्कार है | जो दुष्ट अरिष्टग्रहों का नाश करने वाले परात्पर परमात्मा है उन गणपति को नमस्कार है | जो महापराक्रमी लम्बोदर, सर्पमय, यज्ञोपवीत से सुशोभित अर्धचंद्रधारी और सभी विघ्नो का विनाश करनेवाले है उन गणपति की में वंदना करती हूं | ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूँ ह्रैं ह्रौं ह्रः हेरम्ब को नमस्कार है | हे भगवान् आप ही सभी सभी सिद्धियों के दाता हो आप हमारे लिये सिद्धि-बुद्धि दायक हो आपको मोदक सदा सर्वप्रिय है |

आप मन के द्वारा चिंतित अर्थ को देने वाले हो सिंदूर और लाल वस्त्र से पूजित होकर सदा आप वरदान प्रदान करते है | जो मनुष्य भक्तिभाव से युक्त हो एवं इस गणपति स्तोत्र का पाठ करता है स्वयं लक्ष्मी उनके देह-गेह को नहीं छोड़ती |

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Shree Sankatnashan Ganesh Stotram

॥ श्री गणेशायनमः ॥
नारद उवाच -
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥

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Ganesh Panchratna Stotra:

Panchratna means five jewels. This was composed by Sri Adi Shankara. In this stotra, Sri Adi Sankara has praised Lord Ganesha in 5 stanzas. It gives good health, wealth, knowledge, good skills, good children, education and helps to overcome obstacles.

मुदा करात्त मोदकं सदा विमुक्ति साधकम्

कलाधरावतंसकं विलासलोक रक्षकम्।

अनायकैक नायकं विनाशितेभ दैत्यकम्

नताशुभाशु नाशकं नमामि तं विनायकम्॥ ॥1॥

अर्थ: मैं श्री गणेश भगवान को बहुत ही विनम्रता के साथ अपने हाथों से मोदक प्रदान (समर्पित) करता हूं, जो मुक्ति के दाता- प्रदाता हैं। जिनके सिर पर चंद्रमा एक मुकुट के समान विराजमान है, जो राजाधिराज हैं और जिन्होंने गजासुर नामक दानव हाथी का वध किया था, जो सभी के पापों का आसानी से विनाश कर देते हैं, ऐसे गणेश भगवान जी की मैं पूजा करता हूं।।

नतेतराति भीकरं नवोदितार्क भास्वरम्

नमत्सुरारि निर्जरं नताधिकापदुद्धरम्।

सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं

महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम्॥ ॥2॥

अर्थ: मैं उस गणेश भगवान पर सदा अपना मन और ध्यान अर्पित करता हूं जो हमेशा उषा काल की तरह चमकते रहते हैं, जिनका सभी राक्षस और देवता सम्मान करते हैं, जो भगवानों में सबसे सर्वोत्तम हैं।

समस्त लोक शङ्करं निरस्त दैत्यकुंजरं

दरेतरोदरं वरं वरेभ वक्त्रमक्षरम्।

कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं

मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम्॥3॥

अर्थ: मैं अपने मन को उस चमकते हुए गणपति भगवान के समक्ष झुकाता हूं, जो पूरे संसार की खुशियों के दाता हैं, जिन्होंने दानव गजासुर का वध किया था, जिनका बड़ा सा पेट और हाथी की तरह सुन्दर चेहरा है, जो अविनाशी हैं, जो खुशियां और प्रसिद्धि प्रदान करते हैं और बुद्धि के दाता – प्रदाता हैं।

अकिंचनार्ति मार्जनं चिरन्तनोक्ति भाजनं

पुरारि पूर्व नन्दनं सुरारि गर्व चर्वणम्।

प्रपंच नाश भीषणं धनंजयादि भूषणं

कपोल दानवारणं भजे पुराण वारणम्॥4॥

अर्थ: मैं उस भगवान की पूजा-अर्चना करता हूं जो गरीबों के सभी दुख दूर करते हैं, जो ॐ का निवास हैं, जो शिव भगवान के पहले पुत्र (बेटे) हैं, जो परमपिता परमेश्वर के शत्रुओं का विनाश करने वाले हैं, जो विनाश के समान भयंकर हैं, जो एक गज के समान दुष्ट और धनंजय हैं और सर्प को अपने आभूषण के रूप में धारण करते हैं।

नितान्त कान्त दन्त कान्ति मन्त कान्ति कात्मजं

अचिन्त्य रूपमन्त हीन मन्तराय कृन्तनम्।

हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां

तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम्॥5॥

अर्थ: मै सदा उस भगवान को प्रतिबिंबित करता हूं जिनके चमकदार दन्त (दांत) हैं, जिनके दन्त बहुत सुन्दर हैं, स्वरूप अमर और अविनाशी हैं, जो सभी बाधाओं को दूर करते हैं और हमेशा योगियों के दिलों में वास करते हैं।

महागणे शपंचरत्नमादरेण योऽन्वहं

प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम्।

अरोगतां अदोषतां सुसाहितीं सुपुत्रतां

समीहितायु रष्टभूति मभ्युपैति सोऽचिरात्॥6॥

अर्थ:जो भी भक्त प्रातःकाल में गणेश पंचरत्न स्तोत्र का पाठ करता है, जो भगवान गणेश के पांच रत्न अपने शुद्ध हृदय में याद करता है तुरंत ही उसका शरीर दाग-धब्बों और दुखों से मुक्त होकर स्वस्थ हो जायगा, वह शिक्षा के शिखर को प्राप्त करेगा, जीवन शांति, सुख के साथ आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि के साथ सम्पन्न हो जायेगा।

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Ganesh Chalisa

दोहा
जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥
चौपाई
जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥
जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट सिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।
अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥
बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥
सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥
गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥
कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहऊ॥
पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥
गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज सिर लाए॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥
मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुं कौन बिधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

दोहा
श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान। नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥
सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश। पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥

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Shree Ganesh Stuti Mantra

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय, लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय!
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय, गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते!!
भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय, सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय!
विद्याधराय विकटाय च वामनाय , भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते!!
नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:!
नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम:!!
विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे!
भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक!!
लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय!
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा!!
त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति ,
भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति!
विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति,
तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव!!
गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम !
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम !!

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Benefits of Ganesh Mantra are:

  • Obstacles are removed by chanting Ganesh Mantras.
  • It gives success in our work, professional or personal life.
  • Before starting any new work, we should chant Ganesh mantra first. It helps to get success in the new venture.
  • It helps us to get desired achievement.
  • It gives wealth, abundance and fulfill material achievement.
  • Chanting Ganesh mantras give good education and knowledge.
  • It also gives good children.
  • It gives healthy body and helps us to get rid of long time illness.
  • It helps to get rid of fear and gives peace and calm mind.
  • It gives spiritual enlightenment, wisdom, peace and righteousness.
  • Ganesh Lakshmi Stotra gives wealth in abundance.
  • It gives intellect, fame, good luck and prosperity.
  • Students attain good memory power and focus better in their studies.
  • Chanting Ganapati Mantra brings success in business and career.
  • It gives confidence, courage and removes confusion and worries.
  • It gives inner peace, ourifies heart and also removes enemies from our life.
  • Ganapati is known for his creativity, so chanting Ganesh Mantras enhances our power of creativity.
  • It helps us to stay focussed even in the middle of chaos.
  • It helps to create strong social influence.
  • Ganesh Mantras gives positivity, purity and energy to complete our work.
  • It removes the negativity and helps to complete our uncompleted work.
  • It opens the door of oportunities.
  • Those who chant Ganapati Mantra he and his family are blessed by Lord Ganesha and he never leaves his devotees and fulfills his desires and wishes always.

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Ganesha Sankashta Chaturthi Vrat Importance, Puja Vidhi, Vrat Katha, Remedies

Ganesha Sankashta Chaturthi Vrat| Sankashta Chaturthi Vrat Importance | Sankashta Chaturthi Puja Vidhi | Sankashta Chaturthi Vrat Katha | Sankashta Chaturthi Vrat Ke Upaay |
गणेश संकष्ट चतुर्थीं व्रत का महत्व | गणेश संकष्ट चतुर्थीं व्रत की पूजा विधि | गणेश संकष्ट चतुर्थीं व्रत की कथा | गणेश संकष्ट चतुर्थीं के उपाय 

Sankashta Chaturthi falls on every chaturthi tithi of Krishna Paksha every month. This tithi is dedicated to Lord Ganesha.

Ganesh Sankashta Chaturthi - 6 July 2023

Chaturthi is a Khala Tithi and all auspicious work are prohibited on this day. God of Chaturthi Tithi is Lord Ganesha. Worshipping Lord Ganesha and fasting on this day removes all troubles.

Lord Ganesha and Chandra Dev are worshipped on this day. It is very auspicious to visit Chandra Dev on this day. People give arghya to moon at the time of moonrise on Sankashta Chaturthi. Vrat is considered complete after seeing the moon.

Chaturthi Tithi Timing : Jul 06, 6:30 AM – Jul 07, 3:12 AM

Bramha Muhurta : 04:08 AM to 04:48 AM

Abhijit Muhurta : 11:58 AM to 12:54 PM

Amrit Kaal : 03:06 PM to 04:32 PM

Moonrise on Sankashti day is 10:12 PM on 6th July 2023

Importance of Ashadha Sankashta Chaturthi:

  • It is believed that by doing this fast all the sufferings in life are gone and problems related with children are solved.
  • By doing this fast problems related with money are also solved.
  • With the glory of this fast problems related with work get solved and debts also get paid.

Benefits of Sankashta Chaturthi:

  • Whoever do worship and vrat of Lord Ganesha on Sankashta Chaturthi their all problems get solved, prosperity and happiness comes in their family.
  • Those who do fast on Sankashta Chaturthi Lord Ganesha removes all calamities from their houses and fullfill their all wishes.
  • People who worship Ganesha on Sankashta Chaturthi day, all negative energies are removed from their house and Ganesha blesses them with positivity and peace.
  • Ganesh Sankasht Chaturthi is observed to remove obstacles, hurdles and troubles from life and to seek blessings of Lord Ganesha.
ganesh sankashta chaturthi


Ganesh Sankashta Chaturthi Puja/Vrat Vidhi:
  • Wake up early in the morning and take bath and offer water to Sun.
  • Give bath to Ganesha with Panchamrit and then water. Make panchamrit with milk, curd, honey, sugar and ghee.
  • Offer sindur, yellow chandan, durva grass, flowers, akshat, fruits, janeu, prasad, modak, sweets, laddoo, coconut to Lord Ganesha.
  • Light a diya of ghee and dhoop.
  • Now take sankalp of Ganesh Sankashta Chaturthi vrat.
  • Chant "Om Gang Ganapatye Namah" 108 times.
  • Recite Sankatnashan Ganesh Stotra, Ganesh Chalisa etc.
  • Read Ashadha Ganesh Sankashta Chaturthi Vrat katha as every chaturthi has different vrat katha.
  • Do arati.
  • Do donations and feed green grass to cow.
  • In evening do puja and arati and visit Chandra devta. After that fast can be opened.
  • Devotees observe strict fast while some keep partial fast. Observer of this fast can have fruits, milk, dry fruits, peanuts, potatoes, sabudana khichadi.

Ganesh Sankashta Chaturthi Upay/Remedies:

  • Lord Ganesha is pleased by worshipping Shami tree on this day. Offering Shami leaves to him removes sorrow and poverty.
  • If you want to get rid of biggest problems of your life then offer durva to Lord Ganesha 17 times and chant "Om Gang Ganapatye Namah" 17 times.
  • If you want to buy your house then read "Ganesh Panchratna Stotra"on Ganesh Sankashta Chaturthi day. Then every day read this Stotra till you are not able to buy your own house.
  • If you want immense wealth then recite "Ganesh Lakshmi Stotra" and chant 11 mala of "Om Hreem Shreem Kleem Vitteswaray Namah" on Sankashta Chaturthi day. Then chant 1 mala every day. This will bring new ways of earnings. 
  • On the day of Sankashta Chaturthi worship Lord Ganesha with Sindoor. Sindoor is a symbol of luck and happiness. This will keep good luck in your life.
  • If you want to protect your child with nazar dosh problem then take one cow dung upla and burn it with two camphor and six cloves infront of Shri Ganesh and apply it's flame to forehead of your child.
  • Ganesh Yantra is very auspicious to install in home temple. It attracts positive energy in home. So bring one ganesh yantra in subh muhurta on Ganesh Chaturthi day. 

आषाढ़ गणेश चतुर्थी व्रत कथा: 

एक बार पार्वती जी ने पूछा हे वत्स! आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को बहुत ही शुभदायिनी कहा गया है। आप उसका विधान बतलाइए। इस मास के गणेशजी पूजा किस प्रकार करनी चाहिए साथ ही इस महीने में उनका क्या नाम रखा गया है ? इसपर गणेशजी बोले हे माता! पूर्वकाल में यही प्रश्न युधिष्ठिर ने भी किया था और उन्हें जो भगवान कृष्ण ने उत्तर दिया था मैं उसको बताता हूं, आप सुनिए। श्रीकृष्ण ने कहा हे राजन! गणेश जी की प्रतिकारक, विध्ननाशक, पुराण इतिहास में वर्णित कथा को कह रहा हूँ। आप सुनिए। हे कुंती पुत्र! आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के गणेश जी का नाम ‘लम्बोदर’ हैं। उसका पूजन पूर्व वर्णित विधि से करे।

द्वापर युग में महिष्मति नगरी का महीजित नामक राजा था। वह बड़ा ही पुण्यशील और प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा का पालन अपने पुत्र की तरह करता था। लेकिन, संतान विहीन होने के कारण उसे राजमहल का वैभव अच्छा नहीं लगता था। वेदों में निसंतान का जीवन व्यर्थ माना गया हैं। यदि संतान विहीन व्यक्ति अपने पितरों को जल दान देता हैं तो उसके पितृगण उस जल को गर्म जल के रूप में ग्रहण करते हैं। इसी उहापोह में राजा का बहुत समय व्यतीत हो गया। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए बहुत से दान, यज्ञ आदि कार्य किये।

फिर भी राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो पाई। उनकी जवानी बीत गई और बुढ़ापा आ गया लेकिन, वंश की वृद्धि भी नहीं होती है। राजा ने विद्वान ब्राह्मणों और प्रजाजनों संदर्भ में परामर्श किया। राजा ने कहा कि हे ब्राह्मणों तथा प्रजाजनों! हम तो संतानहीन हो गए, अब मेरी क्या गति होगी? मैंने जीवन में तो किंचित भी पाप कर्म नहीं किया। मैंने कभी अत्याचार द्वारा धन संग्रह नहीं किया। मैंने तो सदैव प्रजा का पुत्रवत पालन किया तथा धर्माचरण द्वारा ही पृथ्वी शासन किया। मैंने चोर-डाकुओं को सजा दी। गौ, ब्राह्मणों का हित चिंतन करते हुए शिष्ट पुरुषों का आदर सत्कार किया। फिर भी मुझे अब तक पुत्र न होने का क्या कारण हैं? विद्वान ब्राह्मणों ने कहा कि हे महाराज! हम लोग वैसा ही प्रयत्न करेंगे जिससे आपके वंश की वृद्धि हो। इस प्रकार कहकर सब लोग युक्ति सोचने लगे। सारी प्रजा राजा के मनोरथ की सिद्धि के लिए ब्राह्मणों के साथ वन में चली गई।

वन में उन लोगों की मुलाकात एक श्रेष्ठ मुनि से हुई। वे मुनिराज निराहार रहकर तपस्या में लीन थे। ब्रह्माजी के सामान वे आत्मजीत, क्रोधजित तथा सनातन पुरुष थे। सम्पूर्ण वेद-विशारद, दीर्धायु, अनंत और अनेक ब्रह्म ज्ञान संपन्न वे महात्मा थे। उनका निर्मल नाम लोमश ऋषि था। प्रत्येक कल्पांत में उनके एक-एक रोम पतित होते थे। इसलिए उनका नाम लोमश ऋषि पड़ गया। ऐसे त्रिकालदर्शी महर्षि लोमेश के उन लोगों ने दर्शन किए। सब लोग उन तेजस्वी मुनि के पास गये। सभी लोग उनके समक्ष खड़े हो गये। मुनि के दर्शन से सभी लोग प्रसन्न होकर कहने लगे कि हम लोगों को सौभाग्य से ही ऐसे मुनि के दर्शन हुए। इनके उपदेश से हम सभी का मंगल होगा, ऐसा निश्चय कर उन लोगों ने मुनिराज से कहा। हे ब्रह्मऋषि! हम लोगों के दुःख का कारण सुनिए। अपने संदेह के निवारण के लिए हम लोग आपके पास आये हैं। हे भगवन! आप कोई उपाय बताएं।

महर्षि लोमेश ने पूछा-सज्जनों! आप लोग यहां किस अभिप्राय से आए हैं? मुझसे आपका क्या प्रयोजन है? पूरी बात स्पष्ट रुप से कहीए। मैं आपके सभी संदेहों का निवारण करुंगा। प्रजाजनों ने उत्तर दिया-हे मुनिवर! हम माहिष्मती नगरी के निवासी हैं। हमारे राजा का नाम महीजित है। हमारे राजा का नाम महीजित है। वह राजा ब्राह्मणों का रक्षक, धर्मात्मा, दानवीर, शूरवीर एवं मधुरभाषी है। उस राजा ने हम लोगों का पालन पोषण किया है, लेकिन उन्हें आज तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई है। उन्होंने कहा हे भगवान! माता पिता को केवल जन्मदाता ही होतेहैं। लेकिन, असल में पोषक तो राजा ही होता है। उन्हीं राजा के लिए हम गहन वन में आए हैं। आप कोई ऐसी युति बताइए जिससे राजा को संतान की प्राप्ति हो। ऐसे गुणवान राजा को कोई पुत्र न हो, यह बड़े दुर्भाग्य की बात हैं। हे मुनिवर! किस व्रत, दान, पूजन आदि अनुष्ठान कराने से राजा को पुत्र होगा। आप कृपा करके हम सभी को बताएं।

प्रजा की बात सुनकर महर्षि लोमेश बोले हे भक्तजनों आप लोग ध्यानपूर्वक सुने मैं संकट नाशन व्रत को बतला रहा हूँ। यह व्रत निसंतान को संतान और निर्धनों को धन देता हैं। आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को ‘एकदन्त गजानन’ नामक गणेश की पूजा करें। पूरे विधि विधान से व्रत करके राजा ब्राह्मणों को भोजन कराएं। साथ ही उन्हें वस्त्र दान करें। गणेश जी की कृपा से उन्हें अवश्य ही पुत्र की प्राप्ति होगी। महर्षि लोमश की यह बात सुनकर सभी लोग करबद्ध होकर उठ खड़े हुए। सभी ने आकर यह बात राजा से बताई। इसे सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुए। और उन्होंने श्रद्धापूर्वक विधिवत गणेश चतुर्थी का व्रत करके ब्राह्मणों को भोजन वस्त्र आदि का दान दिया। रानी सुदक्षिणा को गणेश जी कृपा से सुन्दर और सुलक्षण पुत्र प्राप्त हुआ। श्री कृष्ण जी कहते है कि हे राजन! इस व्रत का ऐसा ही प्रभाव हैं। जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करेंगे वे समस्त सांसारिक सुख के अधिकारी होंगे।

श्रीकृष्ण जी ने कहा कि हे महाराज! आप भी इस व्रत को विधि पूर्वक कीजिये।श्री गणेश जी की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। साथ ही साथआपके शत्रुओं का भी नाश होगा।

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Adhik Maas or Purushottam Maas Date, Importance and Significance, What to do and What Not to do, Mantra, Deepdaan Importance, Adhik Maas Vrat Katha

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