Wednesday, July 05, 2023

Ganesha Sankashta Chaturthi Vrat Importance, Puja Vidhi, Vrat Katha, Remedies

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गणेश संकष्ट चतुर्थीं व्रत का महत्व | गणेश संकष्ट चतुर्थीं व्रत की पूजा विधि | गणेश संकष्ट चतुर्थीं व्रत की कथा | गणेश संकष्ट चतुर्थीं के उपाय 

Sankashta Chaturthi falls on every chaturthi tithi of Krishna Paksha every month. This tithi is dedicated to Lord Ganesha.

Ganesh Sankashta Chaturthi - 6 July 2023

Chaturthi is a Khala Tithi and all auspicious work are prohibited on this day. God of Chaturthi Tithi is Lord Ganesha. Worshipping Lord Ganesha and fasting on this day removes all troubles.

Lord Ganesha and Chandra Dev are worshipped on this day. It is very auspicious to visit Chandra Dev on this day. People give arghya to moon at the time of moonrise on Sankashta Chaturthi. Vrat is considered complete after seeing the moon.

Chaturthi Tithi Timing : Jul 06, 6:30 AM – Jul 07, 3:12 AM

Bramha Muhurta : 04:08 AM to 04:48 AM

Abhijit Muhurta : 11:58 AM to 12:54 PM

Amrit Kaal : 03:06 PM to 04:32 PM

Moonrise on Sankashti day is 10:12 PM on 6th July 2023

Importance of Ashadha Sankashta Chaturthi:

  • It is believed that by doing this fast all the sufferings in life are gone and problems related with children are solved.
  • By doing this fast problems related with money are also solved.
  • With the glory of this fast problems related with work get solved and debts also get paid.

Benefits of Sankashta Chaturthi:

  • Whoever do worship and vrat of Lord Ganesha on Sankashta Chaturthi their all problems get solved, prosperity and happiness comes in their family.
  • Those who do fast on Sankashta Chaturthi Lord Ganesha removes all calamities from their houses and fullfill their all wishes.
  • People who worship Ganesha on Sankashta Chaturthi day, all negative energies are removed from their house and Ganesha blesses them with positivity and peace.
  • Ganesh Sankasht Chaturthi is observed to remove obstacles, hurdles and troubles from life and to seek blessings of Lord Ganesha.
ganesh sankashta chaturthi


Ganesh Sankashta Chaturthi Puja/Vrat Vidhi:
  • Wake up early in the morning and take bath and offer water to Sun.
  • Give bath to Ganesha with Panchamrit and then water. Make panchamrit with milk, curd, honey, sugar and ghee.
  • Offer sindur, yellow chandan, durva grass, flowers, akshat, fruits, janeu, prasad, modak, sweets, laddoo, coconut to Lord Ganesha.
  • Light a diya of ghee and dhoop.
  • Now take sankalp of Ganesh Sankashta Chaturthi vrat.
  • Chant "Om Gang Ganapatye Namah" 108 times.
  • Recite Sankatnashan Ganesh Stotra, Ganesh Chalisa etc.
  • Read Ashadha Ganesh Sankashta Chaturthi Vrat katha as every chaturthi has different vrat katha.
  • Do arati.
  • Do donations and feed green grass to cow.
  • In evening do puja and arati and visit Chandra devta. After that fast can be opened.
  • Devotees observe strict fast while some keep partial fast. Observer of this fast can have fruits, milk, dry fruits, peanuts, potatoes, sabudana khichadi.

Ganesh Sankashta Chaturthi Upay/Remedies:

  • Lord Ganesha is pleased by worshipping Shami tree on this day. Offering Shami leaves to him removes sorrow and poverty.
  • If you want to get rid of biggest problems of your life then offer durva to Lord Ganesha 17 times and chant "Om Gang Ganapatye Namah" 17 times.
  • If you want to buy your house then read "Ganesh Panchratna Stotra"on Ganesh Sankashta Chaturthi day. Then every day read this Stotra till you are not able to buy your own house.
  • If you want immense wealth then recite "Ganesh Lakshmi Stotra" and chant 11 mala of "Om Hreem Shreem Kleem Vitteswaray Namah" on Sankashta Chaturthi day. Then chant 1 mala every day. This will bring new ways of earnings. 
  • On the day of Sankashta Chaturthi worship Lord Ganesha with Sindoor. Sindoor is a symbol of luck and happiness. This will keep good luck in your life.
  • If you want to protect your child with nazar dosh problem then take one cow dung upla and burn it with two camphor and six cloves infront of Shri Ganesh and apply it's flame to forehead of your child.
  • Ganesh Yantra is very auspicious to install in home temple. It attracts positive energy in home. So bring one ganesh yantra in subh muhurta on Ganesh Chaturthi day. 

आषाढ़ गणेश चतुर्थी व्रत कथा: 

एक बार पार्वती जी ने पूछा हे वत्स! आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को बहुत ही शुभदायिनी कहा गया है। आप उसका विधान बतलाइए। इस मास के गणेशजी पूजा किस प्रकार करनी चाहिए साथ ही इस महीने में उनका क्या नाम रखा गया है ? इसपर गणेशजी बोले हे माता! पूर्वकाल में यही प्रश्न युधिष्ठिर ने भी किया था और उन्हें जो भगवान कृष्ण ने उत्तर दिया था मैं उसको बताता हूं, आप सुनिए। श्रीकृष्ण ने कहा हे राजन! गणेश जी की प्रतिकारक, विध्ननाशक, पुराण इतिहास में वर्णित कथा को कह रहा हूँ। आप सुनिए। हे कुंती पुत्र! आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी के गणेश जी का नाम ‘लम्बोदर’ हैं। उसका पूजन पूर्व वर्णित विधि से करे।

द्वापर युग में महिष्मति नगरी का महीजित नामक राजा था। वह बड़ा ही पुण्यशील और प्रतापी राजा था। वह अपनी प्रजा का पालन अपने पुत्र की तरह करता था। लेकिन, संतान विहीन होने के कारण उसे राजमहल का वैभव अच्छा नहीं लगता था। वेदों में निसंतान का जीवन व्यर्थ माना गया हैं। यदि संतान विहीन व्यक्ति अपने पितरों को जल दान देता हैं तो उसके पितृगण उस जल को गर्म जल के रूप में ग्रहण करते हैं। इसी उहापोह में राजा का बहुत समय व्यतीत हो गया। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए बहुत से दान, यज्ञ आदि कार्य किये।

फिर भी राजा को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो पाई। उनकी जवानी बीत गई और बुढ़ापा आ गया लेकिन, वंश की वृद्धि भी नहीं होती है। राजा ने विद्वान ब्राह्मणों और प्रजाजनों संदर्भ में परामर्श किया। राजा ने कहा कि हे ब्राह्मणों तथा प्रजाजनों! हम तो संतानहीन हो गए, अब मेरी क्या गति होगी? मैंने जीवन में तो किंचित भी पाप कर्म नहीं किया। मैंने कभी अत्याचार द्वारा धन संग्रह नहीं किया। मैंने तो सदैव प्रजा का पुत्रवत पालन किया तथा धर्माचरण द्वारा ही पृथ्वी शासन किया। मैंने चोर-डाकुओं को सजा दी। गौ, ब्राह्मणों का हित चिंतन करते हुए शिष्ट पुरुषों का आदर सत्कार किया। फिर भी मुझे अब तक पुत्र न होने का क्या कारण हैं? विद्वान ब्राह्मणों ने कहा कि हे महाराज! हम लोग वैसा ही प्रयत्न करेंगे जिससे आपके वंश की वृद्धि हो। इस प्रकार कहकर सब लोग युक्ति सोचने लगे। सारी प्रजा राजा के मनोरथ की सिद्धि के लिए ब्राह्मणों के साथ वन में चली गई।

वन में उन लोगों की मुलाकात एक श्रेष्ठ मुनि से हुई। वे मुनिराज निराहार रहकर तपस्या में लीन थे। ब्रह्माजी के सामान वे आत्मजीत, क्रोधजित तथा सनातन पुरुष थे। सम्पूर्ण वेद-विशारद, दीर्धायु, अनंत और अनेक ब्रह्म ज्ञान संपन्न वे महात्मा थे। उनका निर्मल नाम लोमश ऋषि था। प्रत्येक कल्पांत में उनके एक-एक रोम पतित होते थे। इसलिए उनका नाम लोमश ऋषि पड़ गया। ऐसे त्रिकालदर्शी महर्षि लोमेश के उन लोगों ने दर्शन किए। सब लोग उन तेजस्वी मुनि के पास गये। सभी लोग उनके समक्ष खड़े हो गये। मुनि के दर्शन से सभी लोग प्रसन्न होकर कहने लगे कि हम लोगों को सौभाग्य से ही ऐसे मुनि के दर्शन हुए। इनके उपदेश से हम सभी का मंगल होगा, ऐसा निश्चय कर उन लोगों ने मुनिराज से कहा। हे ब्रह्मऋषि! हम लोगों के दुःख का कारण सुनिए। अपने संदेह के निवारण के लिए हम लोग आपके पास आये हैं। हे भगवन! आप कोई उपाय बताएं।

महर्षि लोमेश ने पूछा-सज्जनों! आप लोग यहां किस अभिप्राय से आए हैं? मुझसे आपका क्या प्रयोजन है? पूरी बात स्पष्ट रुप से कहीए। मैं आपके सभी संदेहों का निवारण करुंगा। प्रजाजनों ने उत्तर दिया-हे मुनिवर! हम माहिष्मती नगरी के निवासी हैं। हमारे राजा का नाम महीजित है। हमारे राजा का नाम महीजित है। वह राजा ब्राह्मणों का रक्षक, धर्मात्मा, दानवीर, शूरवीर एवं मधुरभाषी है। उस राजा ने हम लोगों का पालन पोषण किया है, लेकिन उन्हें आज तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई है। उन्होंने कहा हे भगवान! माता पिता को केवल जन्मदाता ही होतेहैं। लेकिन, असल में पोषक तो राजा ही होता है। उन्हीं राजा के लिए हम गहन वन में आए हैं। आप कोई ऐसी युति बताइए जिससे राजा को संतान की प्राप्ति हो। ऐसे गुणवान राजा को कोई पुत्र न हो, यह बड़े दुर्भाग्य की बात हैं। हे मुनिवर! किस व्रत, दान, पूजन आदि अनुष्ठान कराने से राजा को पुत्र होगा। आप कृपा करके हम सभी को बताएं।

प्रजा की बात सुनकर महर्षि लोमेश बोले हे भक्तजनों आप लोग ध्यानपूर्वक सुने मैं संकट नाशन व्रत को बतला रहा हूँ। यह व्रत निसंतान को संतान और निर्धनों को धन देता हैं। आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी को ‘एकदन्त गजानन’ नामक गणेश की पूजा करें। पूरे विधि विधान से व्रत करके राजा ब्राह्मणों को भोजन कराएं। साथ ही उन्हें वस्त्र दान करें। गणेश जी की कृपा से उन्हें अवश्य ही पुत्र की प्राप्ति होगी। महर्षि लोमश की यह बात सुनकर सभी लोग करबद्ध होकर उठ खड़े हुए। सभी ने आकर यह बात राजा से बताई। इसे सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुए। और उन्होंने श्रद्धापूर्वक विधिवत गणेश चतुर्थी का व्रत करके ब्राह्मणों को भोजन वस्त्र आदि का दान दिया। रानी सुदक्षिणा को गणेश जी कृपा से सुन्दर और सुलक्षण पुत्र प्राप्त हुआ। श्री कृष्ण जी कहते है कि हे राजन! इस व्रत का ऐसा ही प्रभाव हैं। जो व्यक्ति इस व्रत को श्रद्धा पूर्वक करेंगे वे समस्त सांसारिक सुख के अधिकारी होंगे।

श्रीकृष्ण जी ने कहा कि हे महाराज! आप भी इस व्रत को विधि पूर्वक कीजिये।श्री गणेश जी की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। साथ ही साथआपके शत्रुओं का भी नाश होगा।

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